Tuesday, 3 November 2015

ज़िंदगी एक पहेली !!!!!!!!


ज़िंदगी कभी कभी लगता है पहेली
कैसे बताऊं तुम्हे मै सहेली
कभी मुंह तक आके निवाला छिन जाता है
कभी बिन मांगे सब कुछ मिल जाता है
कभी कभी जिंदगी सुलझी हुई लगती है
कभी कभी जिंदगी उलझी हुई लगती है
कभी जिंदगी के पन्ना पलट ने का मन नहीं करता
कभी जिंदगी का पन्ना फाढने का मन करता
कभी जिदगी लगती है सुंदर सि कविता
कभी जिंदगी को देखती हूं उलझता
कभी लगता है जिंदगी देनेवाली है मधुर कहानी
कभी लगता है जिंदगी मे घटनेवाली है अन्होनी
कभी जिदगी को गले लगाने का मन करता है 
कभी खींचकर थप्पड़ मारने का मन करता है
जिंदगी क्यों है कोई पहेली
बताओ ज़रा मुझे सहेली

                 
                                                 - रेविना 

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