Friday, 6 November 2015

डर !!!!!!!!!

Today, suddenly one thing came to my mind. we all are connected to each other coz of care & fear. We all are afraid of loosing each other. So, based on this I wrote this poem. 

एक को दूसरे से बांधने का डोर

वो है इनसान के अदर का डर

कुछ पाकर उसे खोने का डर

कुछ जुडती चीजों का टूट जाने का डर

किसी के करीब आकर दूर जाने का डर

किसी के खुशी से गम बन जाने का डर

किसी के यादों से मिठ जाने का डर

किसी के दिल मे से हट जाने का डर

जाने पेहचान से अनजान होने का डर

शान की जिंदगी से सम्शान जाने का डर

डर  इनसान मे एक ऐसी मज़बूत डोर है

सबको एक दूसरे से बाध के रखती है                                        
                                          - रेविना 

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