Friday 25 December 2015

ऐ जिंदगी तुम ऐसे क्यों हो ????


ऐ जिंदगी भी खेलती अजीब खेल है
झेंकती हमेशा आँखों मे धूल है
जिन्हे हम पसंद थे, उनके हो न सके
जो हम्हे पसंद थे, उन्हे हम पा न सके
जिनके हम हुए, उन्हे अपना न सके
जिनके लिए जिया, वो हम्हे समझ न सके
जिन्होने जनम दिया, उनके लिए कुछ न कर सके
जिन्हे हमने जनम दिया, उन्हे कुछ दिला न सके
जिनके साथ रहते हैं, वो हम्हे अपनाते नहीं
जो रिश्ता बढाना चाहते थे,उनसे रिश्ता बढा न सके
ऐ जिंदगी हमने तुमसे क्या माँंगा था ??
हसी खुशी और मन की चैन
और तू ने हम्हे क्या दिया ??
आँसुओं से भरें हैं हमारे नैन
ऐ जिदगी तुम ऐसे क्यों हो ????
हसाती कम हमेशा रुलाती ज़्यादा क्यो हो ????

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