Wednesday, 29 April 2015

मोड़ !!!!!!

Actually, we meet so many peoples in our life...but some stays in your life or in your heart for ever. They bring some changes in your life for good. So, thinking of them wrote this poem. I met so many such people in my life ! thank you God for sending them into my life. 


ज़िंदगी के इस सफर में बहुत ही ऐसे मोड़ आतें हैं 
न जाने हम किस वक़्त किस मोड़ पे खड़े होतें हैं 
कोई नहीं जानता कब किस अजनबी से मुलाकात होती है 
और वह अजनबी कब किस मोड़ पे अपना बन जाता है 
कभी दोस्त तो कभी प्यार कभी साथी तो कभी यार 
कभी कुछ और तो कभी कुछ और 
लेकिन रहता है हमेशा हमारे दिल में 
और आसरा देता है हुम्हे मुश्किल में 
हमारे ज़िन्दगी ने हमेशा खूबसूरत मोड़ लिया है 
हमेशा अजनबियों को दुश्मन कम दोस्त ज़्यादा बनाया है 

                                                                        - रेविना 

दोस्तों के संग बिताए कुछ हसीन पल !!!!!!!!

Can you imagine friends...how it feels when you meet your friends/ex classmates after 20 yrs ??????
I experienced the same recently when i met my friends. Yes, we met each other at college reunion & spent a quality time with all. When everyone came to know i started writing poem now, they requested me to write a poem for reunion day & here is the result. 
Each & every word here came from my heart & i wrote what i experienced during collage days.  & What i am thinking about them now...Hope you all will like it.


आज फिर दोस्तों से सजी पूरी मेहफिल है 
हम खुश है हम भी इसमें शामिल है 
आज यहाँ सभी इकट्टा हुए हैं बीस साल बाद 
लेकिन एक दिन भी ऐसा नहीं गया हमने किया नहीं हो इन्हे याद 
तो आज लिखती हूँ इनके साथ बिताये हुए लम्हे 
आओ सुनाती हूँ अपनी सुनेहरी यादों को तुम्हे 
वो कॉलेज का पहला दिन था हम थे डरे डरे सेहमे सेहमे से 
दोस्त तंग जो करते थे कभी इदर से तो कभी उधर से 
फिर धीरे धीरे हम दोस्तों को जान ने लगे पेहचान ने लगे 
और यही दोस्त हम्हे अच्छे लगने लगे 
माना हम हमेशा लड़ते थे जगड़ थे थे 
लेकिन मुश्किल की घडी में सब इकट्टा होते थे 
माना हम कभी पढ़ाई नहीं करते थे 
पर मार्क्स भी तो कुछ कम नहीं लाते थे 
अच्छी बात यह है जब स्पर्धा की बारी आई थी 
किसी ने जोर ओ शोरो से तैयारी नहीं की थी 
फिर भी हर स्पर्धा में हम आये थे अव्वल 
हम खुश नसीब थे हम भी थे इसमें शामिल 
फिर एक दिन बिछड़ने की घडी आई थी 
हमने देखा सबके आँखों में नमी थी 
फिर भी सब हस हसकर एक दूसरे को विदा कर रहे थे 
लेकिन हम जानते मन ही मन में सब रो रहे थे 
सब के दिलों में दोस्तों से बिछड़ने का गम तो था 
लेकिन अपनी अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ने का ख़याल भी था 
आज जब हम इतने सालों बाद इन्हे देखते हैं 
तो फक्र से हमारा सर ऊंचा होता है 
सभी अपनी ज़िंदगी में कुछ न कुछ बने हैं 
और आज सालों बाद दोस्तों से मिलने आये हैं 
भगवान हम लोगों को हमेशा ऐसे ही मिलाते रहना 
एक दूसरे के प्रति प्यार और विश्वास को बनाये रखना 

                                                                             - रेविना 
Here is the link of video recording of that poem recitation...

DOSTHON KE SANG BITHAAYE KUCH HASEEN PAL !