जब भी बैठथी हूँ लिखने गाना
जब भी चाहती हूँ की बात आप को बताना
दिल में घबराहट सी होने लगती है
एक अजीब बेचैनी सी मेहसूस होती है
क्या दोस्त पढ़ेंगे मेरी मन की बात
या नज़र अंदाज़ कर देंगे मेरी कविता
क्या दोस्त जानपायेंगे मेरे दिल का हाल
या करेंगे कोई सवाल। ...
मेरा इरादा था मेरी दिल की बात आप तक पहुँचाने का
इसलिए फिर से मैंने सहारा लिया कविता का
क्या करें ? हम कविता लिखने से अपने आप को रोख नहीं पाते
बहुत दिन चुप रहकर अपने दोस्तों को खोना नहीं चाहते
-रेविना
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